23 November 2025

10041 - 10045 दिल ज़िंदगी आईने यार झुका गुफ़्तुगू पसंद रूठ रंग ख़मोशी ग़ौर तस्वीर शायरी

 
10041
दिलके आईनेमें हैं तस्वीर-ए-यार,
जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली...
                                लाला मौजी राम मौजी

10042
चुप-चाप सुनती रहती हैं,
पहरों शब-ए-फ़िराक़ ;
तस्वीर-ए-यारको हैं,
मिरी गुफ़्तुगू पसंद l
दाग़ देहलवी

10043
ज़िंदगीभरके लिए रूठके जानेवाले,
मैं अभी तक तिरी तस्वीर लिए बैठा हूँ...
                                           क़ैसर-उल जाफ़री

10044
आपने तस्वीर भेजी,
मैने देखी ग़ौरसे ;
हर अदा अच्छी,
ख़मोशीकी अदा अच्छी नहीं...
जलील मानिकपूरी

10045
अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे,
मिरे अंदरसे सभी रंग तुम्हारे निकले...!
                                                सालिम सलीम

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