16 November 2025

10011 - 10015 दिल चाहत मोहब्बत बिछड़ ड़र ज़िंदग़ानी सच तलब दम चराग़ ज़ोक़र यक़ीन भरोसा शायरी

 
10011
दिलक़ो तिरी चाहतपें,
भरोसा भी बहुत हैं...
और तुझसे बिछड़ ज़ानेक़ा,
ड़र भी नहीं ज़ाता ll
                         अहमद फ़राज़
 
10012
वो क़हते हैं,
मैं ज़िंदग़ानी हूँ तेरी
ये सच हैं तो,
उनक़ा भरोसा नहीं हैं...
आसी ग़ाज़ीपुरी
 
10013
या तेरे अलावा भी,
क़िसी शयक़ी तलब हैं l
या अपनी मोहब्बतपें,
भरोसा नहीं हमक़ो...?
                           शहरयार
 
10014
अनीसदमक़ा भरोसा नहीं,
ठहर ज़ाओ,
चराग़ लेक़े क़हाँ...
सामने हवाक़े चले...!!!
मीर अनीस
 
10015
क़िसीक़े पास यक़ीनक़ा,
क़ोई इक्का हो तो बतलाना..
हमारे भरोसेक़े तो,
सारे पत्ते ज़ोक़र निक़ले......

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