28 November 2025

10066 - 10070 दिल नक़्श हर्फ़ लफ़्ज़ मुकम्मल इज़हार सूरत परस्त ख़याल दीवार ताब-ए-नज़्ज़ारा आईना तस्वीर शायरी


10066
हर्फ़को लफ़्ज़ न कर,
लफ़्ज़को इज़हार न दे l
कोई तस्वीर मुकम्मल न बना,
उसके लिए...
                           मोहम्मद अहमद रम्ज़

10067
सूरत छुपाईए,
किसी सूरत-परस्तसे ;
हम दिलमें नक़्श,
आपकी तस्वीर कर चुके ll
अनवर देहलवी

10068
आता था जिसको देखके,
तस्वीरका ख़याल...
अब तो वो कील भी,
मिरी दीवारमें नहीं......
                               ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

10069
ताब-ए-नज़्ज़ारा नहीं,
आईना क्या देखने दूँ..
और बन जाएँगे तस्वीर,
जो हैराँ होंगे...!
मोमिन ख़ाँ मोमिन

10070
कल तेरी तस्वीर,
मुकम्मल की मैने ;
फ़ौरन उसपर,
तितली आकर बैठ गई !!!
                             इरशाद ख़ान सिकंदर

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