Showing posts with label दिल ज़िंदगी कैद इबादत मख़मूर ख़ुश्क बात आज़ाद समझ साक़ी शायरी. Show all posts
Showing posts with label दिल ज़िंदगी कैद इबादत मख़मूर ख़ुश्क बात आज़ाद समझ साक़ी शायरी. Show all posts

2 August 2020

6266 - 6270 दिल ज़िंदगी कैद इबादत मख़मूर ख़ुश्क बात आज़ाद समझ साक़ी शायरी


6266
अज़ाँ हो रही हैं,
पिला जल्द साक़ी l
इबादत करें आज,
मख़मूर होकर ll

6267
अक्ल क्या चीज़ हैं एक वज़ाकी पाबन्दी हैं,
दिलको मुद्दत हुई इस कैदसे आज़ाद किया;
नशा पिलाके गिराना तो सबको आता हैं,
मज़ा तो जब हैं कि गिरतोंको थाम ले साकी ll
ग़ालिब

6268
वो मिले भी तो,
इक झिझकसी रही...
काश थोड़ीसी,
हम पिए होते.......!
   अब्दुल हमीद अदम

6269
ज़बान-ए-होशसे ये कुफ़्र,
सरज़द हो नहीं सकता...
मैं कैसे बिन पिए ले लूँ,
ख़ुदाका नाम ऐ साक़ी...!
अब्दुल हमीद अदम

6270
ख़ुश्क बातोंमें कहाँ हैं,
शैख़ कैफ़--ज़िंदगी...
वो तो पीकर ही मिलेगा,
जो मज़ा पीनेमें हैं.......!
                  अर्श मलसियानी