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18 June 2019

4376 - 4380 दिल ज़िन्दगी ख़ामोश ज़मीर हौसले हादसा भूल कोशिश वक़्त अमीर खौफ उम्मीद शायरी


4376
बस तुम कोई,
उम्मीद दिला दो मुलाकातकी...
फिर इन्तजार तो हम,
सारी उम्र कर लेंगें.......!

4377
अकेले रहनेका भी,
एक अलग सुकून हैं...
ना किसीकी वापस आनेकी उम्मीद...
ना किसीके छोडकर जानेका डर.......

4378
तेरा दर्द इतना,
बड़ा हादसा हैं...
के हर हादसा,
भूल जाना पड़े हैं...

4379
मुझे किसीके छोड जानेका,
मलाल नहीं फराज..
बस कोई ऐसा था,
जिससे ये उम्मीद ना थी...

4380
दिलोंके बंधनमें,
दूरियाँ नहीं गिनते...
जहां उम्मीद हो,
वहां मजबूरियाँ नहीं गिनते...