Showing posts with label दिल जिंदगी बंदगि बदनाम धडकन स्वार्थ शुक्रिया लम्हे शायरी. Show all posts
Showing posts with label दिल जिंदगी बंदगि बदनाम धडकन स्वार्थ शुक्रिया लम्हे शायरी. Show all posts

11 March 2018

2456 - 2460 दिल जिंदगी बंदगि बदनाम मुसाफिर याद रास्ते मोती माला काबिल तारीफ़ धागा जनाब शायरी


2456
गिरकर संभलना,
संभलकर जिंदगी सँवरना...
हीं तो जिंदगी हैं,
बंदगि इससे बढकर क्या होती हैं

2457
दिलका नाम धडकन हैं,
जो खुदाने दी हैं,
धडकन रुक जाय तो,
खुदा बदनाम हो जाएँ ?

2458
हे स्वार्थ तेरा शुक्रिया...!
एक तु ही हैं,
जिसने लोगोंको,
आपसमें जोडकर रखा हैं...!!!

2459
यूँ ही गुज़र जाते हैं,
मीठे लम्हे मुसाफिरोंकी तरह....
और यादें वहीं खडी रह जाती हैं,
रूके रास्तोंकी तरह...!

2460
मालाकी तारीफ़ तो करते हैं सब,
क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं...
काबिल-ए-तारीफ़ धागा हैं जनाब
जिसने सबको जोड़ रखा हैं...