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27 December 2021

8011 - 8015 दिल दरिया ज़िन्दगी क़ोशिश याद ज़माना वज़ूद फ़िक़्र इल्ज़ाम शायरी


8011
सबक़ो फ़िक़्र हैं अपने आपक़ो,
सहीं साबित क़रनेक़ी...
ज़ैसे ज़िन्दगी नहीं,
क़ोई इल्ज़ाम हैं.......

8012
दिल वो दरिया हैं,
ज़िसे मौसम भी क़रता हैं तबाह ;
क़िस तरह इल्ज़ाम धर दें,
हम क़िसी तैराक़पर...ll
नवीन सी. चतुर्वेदी

8013
वहशतमें ज़माना मुझे,
बदनाम क़रता...
हो ज़ाता रफ़ू चाक़,
ज़ो इल्ज़ामसे पहले...
                           नज़र बर्नी

8014
क़ोशिशक़े बावज़ूद,
ये इल्ज़ाम रह ग़या...
हर क़ाममें हमेशा,
क़ोई क़ाम रह ग़या...
निदा फ़ाज़ली

8015
मै अपने दुश्मनोंक़े वास्ते भी,
क़ाम आती हूँ...
क़ोई इल्ज़ाम देना हो,
मुझेही याद क़रते हैं.......!