2386
मुक्कमलसी लगती हैं,
मेरी शायरी...!!!
लफ्ज़ जब सारे मेरे होते हैं,
और ज़िक्र सारा तेरा...!!!
2387
गुलशनकी फ़कत फुलोंसे नहीं,
काँटोसे भी ज़ीनत होती हैं...
जीनेके लिए इस दुनियाँमें,
गमकी भी जरुरत होती हैं.......
2388
लाख समझाया उसको की,
दुनियाँ शक करती हैं...
मगर उसकी आदत नहीं गयी,
मुस्कुराकर गुजरनेकी.......!
2389
फिरसे वो सपना सजाने चला हूँ...
उमीदोंके सहारे...
दिल लगाने चला हूँ...
पता हैं कि...
अंजाम बुरा ही होगा मेरा...
फिर भी...
किसीको अपना बनाने चला हूँ.......
2390
तुम मेरी जिंदगीका,
वो एकलौता सच हो,
जिसके बारेमें मैने दुनियाँके हर सख्शसे,
झूठ कहा हैं.......