6781
तेरी पनाहकी तलब,
यूँ ही बेसबब तो नहीं...
तेरे दामनसे बेहतर,
कोई जमींभी तो नहीं मिलती...
6782
पहलू-ए-गुलमें,
खार भी हैं
कुछ छुपे हुए...
हुस्ने-बहार देख
तो,
दामन बचाके देख.......
दिल शाहजहाँपुरी
6783
फूल चुनना भी अबस,
सैरे-बहारां भी अबस...
दिलका दामन ही जो,
कांटोंसे बचाया न गया...!
मुईन अहसन जज्बी
6784
मैं जो कांटा
हूँ तो,
चल मुझसे बचाकर दामन...
मैं हूँ अगर
फूल तो,
जूड़ेमें
सजाले मुझको.......
6785
बहला रहे हैं अपनी,
तबिअत खिजाँ-नसीब...
दामन पै खींच-खींचकर,
नक्शा बहारका.......
दिल शाहजहाँपुरी