7056
उसके बंदोंको,
देखकर कहिए...
हमको उम्मीद क्या,
ख़ुदासे रहे.......
जावेद अख़्तर
7057अब्र-ए-आवारासे,मुझको हैं वफ़ाकी उम्मीद...बर्क-ए-बेताबसे,शिकवा हैं, के पाइंदा नहीं...
7058
जा, लगेगी कश्ती-ए-दिल...
साहिल-ए-उम्मीदपर...!
दीदा-ए-तरसे अगर...
दरिया रवाँ हो जाएगा...!!!
मिर्ज़ा अंजुम
7059मुदतोंसे यही आलम हैं,न तवक्को, न उम्मीद...दिल पुकारे ही,चला जाता हैं जाना जाने...
7060
दिल-ए-वीराँमें,
अरमानोकी बस्ती तो बसाता हूँ...
मुझे उम्मीद हैं,
हर आरज़ू ग़म साथ लाएगी...
जलील मानिकपुरी