18 January 2021

7056 - 7060 दिल पुकार आरज़ू वफ़ा शिकवा आवारा साहिल उम्मीद शायरी

 

7056
उसके बंदोंको,
देखकर कहिए...
हमको उम्मीद क्या,
ख़ुदासे रहे.......
                 जावेद अख़्तर

7057
अब्र-ए-आवारासे,
मुझको हैं वफ़ाकी उम्मीद...
बर्क-ए-बेताबसे,
शिकवा हैं, के पाइंदा नहीं...

7058
जा, लगेगी कश्ती--दिल...
साहिल--उम्मीदपर...!
दीदा--तरसे अगर...
दरिया रवाँ हो जाएगा...!!!
                       मिर्ज़ा अंजुम

7059
मुदतोंसे यही आलम हैं,
तवक्को, उम्मीद...
दिल पुकारे ही,
चला जाता हैं जाना जाने...

7060
दिल--वीराँमें,
अरमानोकी बस्ती तो बसाता हूँ...
मुझे उम्मीद हैं,
हर आरज़ू ग़म साथ लाएगी...
                        जलील मानिकपुरी

No comments:

Post a Comment