16 January 2021

7046 - 7050 ख़याल चिराग़ रौशनी राह जिंदगी खुशियाँ उम्मीद शायरी

 

7046
उम्मीद कीजिए अगर,
उम्मीद कुछ नहीं...
ग़म खाइए बहुत जो,
ख़याल--सुरूर हैं.......
                      इस्माइल मेरठी

7047
मुतमइन हैं वो,
मुझे देके उम्मीदोंके चिराग़...
तिफ़्ल--मक़तब हूँ,
खिलौनोंसे बहल जाऊँगा.......!

7048
उम्मीदकी किरणके सिवा,
कुछ नहीं यहाँ !
इस घरमें रौशनीका बस,
यहीं इंतज़ाम हैं...!!!

7049
सूनी राहोंके तकाज़ोंपें,
जिंदगी अब भी;
तेरी उम्मीदमें,
खुशियोंकी तलबगार रहें...

7050
खुदसे उम्मीद रखना,
बेहतर हैं, मग़र...
अपनोंसे नाउम्मीदी,
अच्छी नही लग़ती.......

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