10 January 2021

7016 - 7020 लम्हा हयात ज़िन्दगी जीवन हकीकत दुनिया मुक़द्दर ख़ुशी शायरी


7016
काश की मिल जाए,
मुझे मुक़द्दरकी कलम...
लिख दूँ लम्हा लम्हा ख़ुशी,
एक अजनबी की ज़िन्दगीके लिए...!

7017
लाई हयात आई, कजा ले चली चले l
अपनी ख़ुशी आये, अपनी खुशी चले ll
अच्छा तो हैं यही कि, जहाँमें दिल लगे l
लेकिन तो क्या करें, जो ये बेदिली चले ll
दुनियाने किसका, राहे-फनामें दिया हैं साथ l
तुम भी चले चलो, यूँ ही जब तक चली चले ll
अब्राहम जौंक

7018
जरासी बात देरतक रूलाती रहीं,
ख़ुशीमें भी आँखे आँसू बहाती रहीं,
कोई खोके मिल गया, तो कोई मिलके खो गया...
जिन्दगी हमको बस, ऐसेही आजमाती रहीं.......

7019
कहनेके तो बहोत सारे हैं लोग हमारे,
पर जब वही लोग हमें आप कहके बुलाते हैं...
खुदा क़सम दुनिया भरकी ख़ुशी मिल जाती हैं,
सचका तलबगार होता हैं कभी.......

7020
ख़ुशीकी आशा, कभी मनकी निराशा,
कभी ख़ुशियोंकी धूप, कभी हकीकतकी छाँव...
कुछ ख़ोकर कुछ पानेकी आशा,
शायद यहीं हैं जीवनकी परिभाषा...!

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