19 January 2021

7061 - 7065 दिल बात वादा वफ़ा प्यास गर्दिश आँख बहक मंज़िल हौंसला उम्मीद शायरी

 

7061
तुम कहाँ, वस्ल कहाँ,
वस्लकी उम्मीद कहाँ...
दिलके बहकानेको,
इक बात बना रखी हैं...!
         आग़ा शाएर क़ज़लबाश

7062
उम्मीद तो बाँध जाती,
तस्कीन तो हो जाती...
वादा ना वफ़ा करते,
वादा तो किया होता.......!

7063
उनकी आँखोंसे रखे क्या,
कोई उम्मीद--करम...
प्यास मिट जाये तो,
गर्दिशमें वो जाम आते हैं...

7064
उम्मीदमें बैठे हैं,
मंज़िलकी राहमें...
तू पुकारे तो,
हौंसलोंको इलहाम मिले...!

7065
इतनाभी मत रुठ मुझसे,
कि तुझे मनानेकी,
उम्मीद ही खत्म हो जाए...

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