7001
मसर्रत ज़िंदगीका,
दूसरा नाम...
मसर्रतकी तमन्ना,
मुस्तक़िल ग़म.......
7002अहबाबको दे रहा हूँ धोका,चेहरेपें ख़ुशी सजा रहा हूँ...!
7003
छोटीसी ज़िन्दगी हैं,
हर बातमें खुश रहो l
कल किसने देखा हैं,
बस अपने आजमें ख़ुश रहो ll
7004जरुरी नहीं की,हर रिश्तोंका अंत लड़ाई ही हो;कुछ रिश्तें किसीकी,ख़ुशीके लिएभी छोड़ने पड़ते हैं ll
7005
कोई काश उनसे पूछे,
जो ग़मोंसे भागते हैं...
वो कहाँ पनाह लेंगे,
जो ख़ुशी न रास
आई...
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