28 January 2021

7101 - 7102 बात तबाह सफ़र बेरूखी तमीज आँस मीठा सच झूठ शायरी

 

7101
झूठी बातपें,
जो वाह करेंगे...
वहीं लोग आपको,
तबाह करेंगे.......

7102
जब-जब मुझे लगा,
मैं तेरे लिये खास हूँ...
तेरी बेरूखीने ये समझा दिया,
मैं झूठी आँसमें हूँ.......

7103
सचको तमीज नहीं,
बात करनेकी;
झूठको देखो,
कितना मीठा बोलता हैं !

7104
जब तक सच,
जूते पहन रहा होता हैं l
तबतक एक झूठ,
आधी दुनियाका,
सफ़र तय कर सकता हैं ll

7105
झूठ इसलिए,
बिक जाता हैं कि...
सचको खरीदनेकी,
सबकी औकात नहीं होती हैं...

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