6996
सुनते हैं ख़ुशीभी हैं,
ज़मानेमें कोई चीज़...
हम ढूँडते फिरते हैं,
किधर हैं ये कहाँ हैं...
6997ख़ुशियाँ छुपी हैं,छोटी-छोटी अरमानोंमें...पता नही क्यों ढूढ़ते हैं,इसे महंगी दुकानोंमें.......
6998
ना ख़ुशी खरीद पाता हूँ,
ना ही गम बेच पाता हूँ;
फिर भी ना जाने मैं क्यूँ,
हर रोज कमाने जाता हूँ...
6999ख़ुशी नहीं,ग़म चाहते हैं,ख़ुशी उन्हें दें दें...जिन्हें हम चाहते हैं...!
7000
अगर तेरी ख़ुशी हैं,
तेरे बंदोंकी मसर्रतमें...
तो ऐ मेरे ख़ुदा,
तेरी ख़ुशीसे कुछ नहीं
होता...!
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