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22 January 2020

5361 - 5365 दिल प्यार लफ्जो आँखे वहम आसान भूलना शायरी


5361
जाते जाते उसने पलटकर,
मुझसे कुछ यूँ कहाँ...
तुम हमें भूल जाओ,
हम तो तुमसे प्यार सीखने आए थे...

5362
कितनी आसानीसे कह दिया तुमने,
की बस अब तुम मुझे भूल जाओ;
साफ साफ लफ्जोमें कह दिया होता,
की बहुत जी लिये अब मर जाओ तुम...

5363
उन्हें भ्रम हैं,
मुँह फेर कर भूल पाएंगे हमें...
अब कौन समझाए के,
आँखे मूंद लेनेसे रात नही हुवा करती...

5364
भुलाना और भूल जाना तो,
बस एक वहम हैं दिलका;
भला कौन निकलता हैं दिलसे,
एक बार बस जाने के बाद...

5365
भूलना तो ज़माने की रीत हैं...
मग़र तुमने शुरुआत हमसे ही क्यों की...?