5361
जाते जाते उसने
पलटकर,
मुझसे कुछ
यूँ कहाँ...
तुम हमें भूल
जाओ,
हम तो
तुमसे प्यार सीखने
आए थे...
5362
कितनी आसानीसे कह दिया
तुमने,
की बस अब
तुम मुझे भूल
जाओ;
साफ साफ लफ्जोमें
कह दिया होता,
की बहुत जी
लिये अब मर
जाओ तुम...
5363
उन्हें भ्रम हैं,
मुँह फेर कर
भूल पाएंगे हमें...
अब कौन समझाए
के,
आँखे मूंद लेनेसे
रात नही हुवा
करती...
5364
भुलाना और भूल
जाना तो,
बस एक वहम
हैं दिलका;
भला कौन निकलता
हैं दिलसे,
एक बार बस
जाने के बाद...
5365
भूलना तो ज़माने
की रीत हैं...
मग़र तुमने शुरुआत हमसे
ही क्यों की...?
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