5276
बितानी तो एक
उम्र है,
तेरे बिना...
और गुजरता तो एक,
लम्हा भी नहीं......
5277
रात बाक़ी थी,
जब वो बिछड़े
थे...
कट गई उम्र,
रात बाक़ी है.......
5278
पत्तों सी हो
गई है,
रिश्तोंकी
उम्र...
आज हरे, कल
पीले,
परसों सूखे.......
5279
उम्मीदोंके
ताले,
पड़े के पड़े
रह गये...
तिजोरी उम्रकी,
न जाने कब
ख़ाली हो गई...
5280
मोहब्बतसे
बाज आ जाओ,
मोहब्बत
करने वालो...
मैने एक उम्र
गुज़ारी है,
मिला कुछ भी
नही.......
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