2 January 2020

5276 - 5280 लम्हा रिश्तों उम्मीद मोहब्बत उम्र शायरी


5276
बितानी तो एक उम्र है,
तेरे बिना...
और गुजरता तो एक,
लम्हा भी नहीं......

5277
रात बाक़ी थी,
जब वो बिछड़े थे...
कट गई उम्र,
रात बाक़ी है.......

5278
पत्तों सी हो गई है,
रिश्तोंकी उम्र...
आज हरे, कल पीले,
परसों सूखे.......

5279
उम्मीदोंके ताले,
पड़े के पड़े रह गये...
तिजोरी उम्रकी,
जाने कब ख़ाली हो गई...

5280
मोहब्बतसे बाज जाओ,
मोहब्बत करने वालो...
मैने एक उम्र गुज़ारी है,
मिला कुछ भी नही.......

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