11 January 2020

5316 - 5320 ज़िन्दगी याद उलझन सुलझन रिश्ता सुकून मोहलत ख्याल ख़ुशी ग़म हिसाब फुरसत शायरी


5316
वो हमें फुरसतमें याद करते हैं,
पर हमें तो उनकी यादोंसे,
फुरसतही नहीं मिलती.......


5317
मिल जाए उलझनोंसे फुरसत,
तो जरा सोचना...
सिर्फ फुरसतोंमें याद करने तक का,
रिश्ता हैं हमसे.......

5318
सब कुछ मिला सुकूनकी दौलत नहीं मिली,
एक तुझको भूल जानेकी मोहलत नहीं मिली l
करनेको बहुत काम थे अपने लिए मगर,
हमको तेरे ख्यालसे कभी फुरसत नहीं मिली ll

5319
ख़ुशी जल्दीमें थी,
रुकी नहीं...
ग़म फुरसतमें थे,
ठहर गए.......

5320
फुरसतमें करेंगे तुझसे हिसाब,
ज़िन्दगी...
अभी तो उलझे हैं,
खुदको सुलझानेमें.......

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