5 January 2020

5291 -5295 आँख तन्हाई नशीली बेहिसाब लफ्ज़ जहर खामोशियाँ निकाह साथ उम्र शायरी


5291
श्क़का उम्रसे,
नही कोई लेना-देना साहब...
ये वो शै है,
ज़ितनी पुरानी,
उतनी नशीली होती हैं...!

5292
इश्क़की उम्र नहीं होती,
ना ही दौर होता हैं;
इश्क़ तो इश्क़ हैं,
जब होता हैं...
बेहिसाब होता हैं...!

5293
माहौल कुछ ऐसा,
बना तेरे मेरे दरमियाँ...
लफ्ज़ोने जहर पी लिया,
और खामोशियोंकी उम्र बढ गई...

5294
तन्हाई,
तू अब निकाह करले मुझसे...
जब उम्रभर साथ ही रहना हैं,
तो चल जमानेकी,
ये रस्मे भी अदा करलें.......

5295
एक उम्रके बाद,
उस उम्रकी बातें...
उम्रभर याद आती हैं;
पर वह उम्र फिर उम्रभर नहीं आती...

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