19 January 2020

5351 - 5355 ज़िन्दगी रूठना बात ख़्वाब हक़ीक़त हक़ीक़त एहसास साँस साथ शायरी


5351
रूठनेपर भी जो ना रूठे,
वो बात हो तुम...
छूटनेपर भी जो ना छूटे,
वो साथ हो तुम.......!

5352
एक ख़्वाब ही था,
जिसने साथ ना छोड़ा;
हक़ीक़त तो बदलती रही,
हालातोंके साथ.......

5353
वो साथ थी मेरे,
या मैं साथ था उसके...
वो ज़िन्दगीके कुछ दिन थे,
या ज़िन्दगी थी कुछ दिनकी.......!

5354
एहसास नहीं बदलते,
तारीखोंके साथ;
तुम धड़क रहे हो मुझमें,
हर एक साँसके साथ...

5355
मैंने देखे थे हज़ारों ख़्वाब तेरे साथ,
और अब...
तेरा साथ ही,
एक ख़्वाब हैं.......

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