1 January 2020

5271 - 5275 इश्क़ बात समझ दुश्मनी मुफ़्त बेपनाह साथ पल नजर वादा दाग उम्र गुनाह शायरी


5271
ये बात समझनेमें,
उम्र लग गई कि...
बेगुनाह होना भी,
एक गुनाह है...

5272
दुश्मनी हो जाती है,
मुफ़्तमें सैकड़ोंसे साहब...
इंसानका बेहतरीन होना भी,
एक गुनाह है.......

5273
चल एक खूबसूरत,
गुनाह कर लें...
साथ दो पलका सही,
इश्क़ बेपनाह कर लें...!

5274
बेगुनाह कोई नहीं,
सबके राज होते है;
किसीके छुप जाते है,
किसीके छप जाते है...

5275
हर नजरमें मुमकिन,
नहीं है बेगुनाह रहना...
वादा ये करें की खुदकी,
नजरमें बेदाग रहें.......!

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