26 January 2020

5381 - 5385 ज़िंदगी यार यादें मोहब्बत साथ जमीन दुश्मन आज़ाद तीर वक़्त शायरी


5381
बस मोहब्बत हमको आपसे होनी थी,
सो हो गयी.......
अब नसीहत छोडिये, साथ दिजीये,
और दुआ किजिए.......!!!

5382
बदल जाओ वक़्तके साथ,
या फिर वक़्त बदलना सीखो...
मजबूरियोंको मत कोसों,
हर हालमें चलना सीखों...!

5383
वो ज़िंदगीही क्या जिसमें यार नही,
वो यारी ही क्या जिसमें यादें नही;
वो यादें क्या जिसमे तुम नही,
और वो तुम ही क्या जिसके साथ हम नही...!

5384
उड़ने दो मिट्टीको,
आखिर कहाँ तक उड़ेगी...?
हवाओंने जब साथ छोड़ा तो...
जमीनपर ही गिरेगी.......!

5385
दुश्मनोंके साथ मेरी,
मोहब्बतभी आज़ाद हैं...
देखना हैं, फेंकता हैं मुझपर...
पहला तीर कौन...?

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