13 January 2020

5326 - 5330 उलझन चाह वक्त याद वक्त वास्ता तन्हा एहसास दस्तक मोहताज खुशबू गुजर शायरी


5326
वो उलझे रहे,
हमें आजमानेमें और...
हदसे गुजर गये हम,
उन्हें चाहनेमें.......!

5327
ज़मीनपर मेरा नाम,
वो लिखते और मिटाते हैं...
वक्त उनका तो गुजर जाता हैं,
मिट्टीमें हम मिल जाते हैं.......

5328
बस यादें रह जाती हैं,
याद करने के लिए...
वक्त सब कुछ लेकर,
गुजर जाता हैं.......

5329
माना कि आज उनका मुझसे,
कोई वास्ता नहीं रहा...
मगर आज भी उनके हिस्सेका वक्त,
तन्हा गुजरता हैं.......!

5330
एहसास दस्तकके,
मोहताज नहीं होते हैं...
खुशबू हैं तो बंद दरवाजेसे भी,
गुजर जायेगी.......!

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