30 January 2020

5401 - 5405 वफ़ा जालिम सितम तकदीर दस्तूर याद वक्त शायरी


5401
हम कहते थे न,
वक्त जालिम हैं...
देखों ख्वाब हो गए न,
तुम भी.......

5302
वक्त गूंगा नहीं...
बस मौन हैं ;
वक्त आने पर...
बता देगा किसका कौन हैं...

5403
चलकर देखा हैं अक्सर
मैने अपनी चालसे तेज;
पर वक्त और तकदीरसे आगे,
कभी निकल सका.......

5404
वक्त का पासा,
कभी भी पलट सकता हैं...
तुम वही सितम करना,
जो खुद सह सको...

5405
चलो शामका दस्तूर,
पूरा किया जाए...
उनकी यादोंका वक्त हैं,
एक बार उनको याद किया जाए...!

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