25 January 2020

5376 - 5380 ज़िंदगी धोख़ा विश्वास ख़ासियत साथ अक़्सर ज़हन गम शायरी


5376
धोखेकी ख़ासियत,
यही हैं जनाब...
ये विश्वासके साथ,
मुफ़्तमें मिलता हैं...

5377
काश कोई अपना हो,
तो आईने जैसा...
जो हँसे भी साथ,
और रोए भी साथ...

5378
अक़्सर हम साथ साथ,
टहलते हैं.......
तुम मेरे ज़हनमें,
और मैं छतपे.......

5379
मेरी जिंदगीमें,
सिर्फ यही गम रहा...
कि मैं उनके साथ,
बहोतही कम रहा...

5380
काश तुम पूछो की,
मुझसे तुम्हे क्या चाहिये...
मैं पकडू बस तेरा हाथ और कहूँ,
सिर्फ तेरा साथ चाहिये.......

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