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16 January 2018

2231 - 2235 दिल मोहब्बत अजीब खामोश कशिश दिन रात बात लफ्ज अल्फ़ाज तनहां लब अधुरा हरजाई ख्याल वजह महक शायरी


2231
ऐसा नहीं हैं कि दिन नहीं ढलता,
या रात नहीं होती,
सब अधुराअधुरासा लगता हैं,
जब बात नहीं होती ...।

2232
आज कोई शायरी नहीं,
बस इतना सुन लो...
मैं तनहां हुँ,
और वजह तुम हो...

2233
एक अजीबसी कशिश हैं...
हरजाई तेरे ख्यालोंमें...
चुभते हैं दिलमें काँटे...
फिरभी फूलोंसी महक आती हैं..!

2234
अल्फ़ाज ना भी आप
लबोंपर लाते ...
आपकी खामोशियाँ भी बखूबी
हमे समझ आती हैं ...!

2235
छोटा हैं मोहब्बत लफ्ज,
मगर तासीर इसकी प्यारी हैं,
इसे दिलसे करोगे तुम,
तो ये सारी दुनियाँ तुम्हारी हैं !