2826
रोज इक ताजा
शेर,
कहाँसे
लिखू तेरे लिए,
तुझमें तो हर
रोज ही,
इक
नई अदा दिखती
हैं !
2827
दिल जीत ले
वो जिगर हम
भी रखते हैं,
कत्ल कर दे
वो नजर हम
भी रखते हैं,
वादा किया हैं किसीको हमेशा
मुस्कुरानेका,
वरना इन आँखोंमें समंदर हम
भी रखते हैं...
2828
मैंने तो बाहोंमें
लिया था,
एक लम्हेक़े लिए...
क्या खबर थी
की,
रग रगमें
समा जाओगे यूँ...!
2829
ऐ पलक, तू
बंद हो जा...
ख्बाबोंमें उसकी सूरत
तो नजर आयेगी;
इंतज़ार तो सुबह
दोबारा शुरू होगा,
कमसे कम
रात तो खुशीसे कट जायेगी...!!!
2830
मत तोल मोहब्बत
मेरी,
अपनी दिल्लगीसे,
चाहत देखकर मेरी अक्सर,
तराज़ू टूट जाते हैं.......!