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29 March 2020

5661 - 5665 दिल वफ़ा याद मुश्किल होसला आदत सितम इंतिहा गैर क़ाबिल सितम शायरी


5661
पास होकर सितम करना तो,
आदत थी तुम्हारी...
अब यादोमें रहकर क्यों,
जीना मुश्किल करते हो.......

5662
सारे सपने तोड़कर बैठे हैं,
दिलका अरमान छोड़कर बैठे हैं;
ना कीजिये हमसे वफ़ाकी बातें,
अभी-अभी दिलके टुकड़े जोड़कर बैठे हैं...

5663
हर गमने, हर सितमने,
नया होसला दिया...!
मुझको मिटाने वालोने,
मुझको बना दिया.......!

5664
सितमकी इंतिहापर,
चल रही हैं ये दुनिया;
किस ख़ुदापर,
चल रही हैं...?

5665
गैरोंपें हो रही हैं,
हज़ारों नवाज़िशें...
अफ़सोस हम सितमके भी,
क़ाबिल नहीं रहे.......