5661
पास होकर सितम
करना तो,
आदत थी तुम्हारी...
अब यादोमें रहकर क्यों,
जीना मुश्किल करते हो.......
5662
सारे सपने तोड़कर
बैठे हैं,
दिलका अरमान छोड़कर बैठे
हैं;
ना कीजिये हमसे वफ़ाकी
बातें,
अभी-अभी दिलके
टुकड़े जोड़कर बैठे
हैं...
5663
हर गमने, हर
सितमने,
नया होसला दिया...!
मुझको मिटाने वालोने,
मुझको बना दिया.......!
5664
सितमकी इंतिहापर,
चल रही हैं
ये दुनिया;
किस ख़ुदापर,
चल रही हैं...?
5665
गैरोंपें
हो रही हैं,
हज़ारों
नवाज़िशें...
अफ़सोस हम सितमके
भी,
क़ाबिल नहीं रहे.......
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