1 March 2020

5541 - 5545



5541
फिर किसी मोडपर मिल जाऊँ हमदम,
तो मुंह फेर लेना;
पुराना इश्क हैं साहब,
फिर उभरा तो क़यामत होगी...

5542
सँभालने दे मुझे,
ये नाउम्मीदी क्या क़यामत हैं...
के जितना खींचता हूँ,
और खिचता जाये हैं मुझसे...

5543
तुम नफरतोंके धरने,
क़यामत तक ज़ारी रखो...
मैं मोहब्बतसे इस्तीफ़ा,
मरते दम तक नहीं दूँगा...!

5544
हमारी ही रूहको,
वजूदसे जुदा कर गया...
एक शक्स ज़िंदगीमें आया,

क़यामतकी तरह.......

5545
क़यामतकी रात हैं,
अब आखिरी कोशिश कर ले...
मरनेसे पहले एक बार,
जीनेकी ख्वाहिश कर ले.......!

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