15 March 2020

5606 - 5610 साँस दखल ख्वाहिश रास्ते रूह मँजिल इश्क़ वजूद हालात जिंदगी शायरी


5606
उसे लिख पाते हैं शायरीमें,
इसलये चलती साँस हैं...
ना करो बेदखल इन नज्मोसे,
वरना जिंदगी जिंदा लाश हैं...

5607
इतना आसान नहीं हैं,
अपने ढंगसे जिंदगी जी पाना l
अपनोंको भी खटकने लगते हैं,
जब अपने लिये जीने लगते हैं ll

5608
ख्वाहिशोने ही भटकाये हैं,
जिंदगीके रास्ते... वरना;
रूह तो उतरी थी ज़मींपें,
मँजिलका पता लेकर...

5609
बेवफा तेरे सजदेके लिए,
हर साँसको बिखरते देखा हैं...
जिंदगी हर मोड़पर इश्क़में,
अपना वजूद टूटते देखा हैं...

5610
जिंदगी सुन,
तू यहींपे रुकना...
हम हालात बदलके आते हैं...!

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