12 March 2020

5596 - 5600 प्यार इजहार ताबीज़ मशहूर हालत हुस्न जरूरत क़यामत सादगी शायरी


5596
कोई ताबीज़ ऐसा दो कि,
मैं चालाक हो जाऊं...
बहुत नुकसान देती हैं मुझे,
ये सादगी मेरी.......

5597
मेरी सादगीही,
गुमनामीमें रखती हैं मुझे...
जरा सा बिगड़ जाऊं,
तो मशहूर हो जाऊं...

5598
तेरी हालतसे लगता हैं,
तेरा अपना था कोई...
वरना इतनी सादगीसे,
बरबाद कोई गैर नहीं करता...

5599
हुस्न वालोंको,
क्या जरूरत हैं संवरनेकी...
वो तो सादगीमें भी,
क़यामतकी अदा रखते हैं...!

5600
बहुत खुबसूरतीसे उसने,
अपने प्यारका इजहार किया...
ये हवाएँ भी थम गयी,
उसकी सादगी देखकर.......!

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