25 March 2020

5646 - 5650 प्यार जिंदगी मौत उम्मीद बात चाहत महबूब धड़कन तन्हाई जुदाई वफ़ा शायरी


5646
कभी कभी वो,
मेरे बारेमें सोंचेगी ज़रूर...
के हासिल होनेकी उम्मीद भी नहीं,
फिर भी वफ़ा करता था.......!

5647
किसी और के बाहोंमें रहकर,
वो हमसे वफ़ाकी बात करते हैं...
ये कैसी चाहत हैं यारों,
वो बेवफ़ा हैं जानकर भी...
हम उन्हींसे ही प्यार करते हैं...!

5648
देखके तेरी आँखोंमें,
पल पल जिया हूँ मैं;
तुझे देख किसीके बाहोंमें,
हर पल मरा हूँ मैं;
साथ तेरा जब तक था,
जिंदगीसे वफ़ा मैं करता था;
अब साथ नही जब तेरा,
मैं वफ़ा मौतसे करता हूँ...

5649
मेरे अलावा किसी और को,
अपना महबूब बनाकर देख ले...
तेरी हर धड़कन कहेगी,
उसकी वफ़ामें कुछ और बात थी...

5650
तेरे होते हुए भी तन्हाई मिली हैं,
वफ़ा करके भी देखो बुराई मिली हैं,
जितनी दुआ की तुम्हे पाने की...
उससे ज़यादा तेरी जुदाई मिली हैं...

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