5546
दिलमें समां गयीं हैं,
क़यामतकी शोख़ियाँ...
दो-चार दिन मैं भी रहा था,
दो-चार दिन मैं भी रहा था,
किसीकी निगाहमें.......!
5547
मुझे मेरे कलकी फ़िक्र तो,
आज भी नहीं पर...
ख्वाहिश तुम्हें पानेकी,
क़यामत तक रहेगी...!
5548
मेरी याद क़यामत
हैं,
याद रखना...
आएगी जरूर.......!
5549
अंदाज़-ए-सितम उनका,
निहायतही अलग हैं...
गुज़री हैं जो दिलपर वो,
क़यामतही अलग हैं...
5550
काश कयामतके दिन हिसाब
हो,
सब बेवफाओंका...
और तुम मेरे
गले लगके कहो
की,
"मेरा नाम मत लेना.......!"
"मेरा नाम मत लेना.......!"
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