5581
मोहब्बतका
कोई रंग नहीं,
फिर भी वो
रंगीन हैं...
प्यार का कोई चेहरा नहीं,
प्यार का कोई चेहरा नहीं,
फिर भी वो
हसीन हैं.......!
5582
ये किसकी चाहतका रंग
हैं,
जो मद्धम नहीं होता...
इतने नज़्म लिख
डाले,
फिर भी सिलसिला
खत्म नहीं होता...!
5583
हुस्न रंगतका,
मोहताज कभी नहीं
होता...
आलिम जेहन हो
तो,
फिर चेहरा नहीं देखा
जाता...!
5584
मोहब्बतके
सभी रंग बहुत
ख़ूबसूरत हैं,
लेकिन.......
सबसे ख़ूबसूरत रंग वहीं हैं,
जिसमें इज़हारके लिए अल्फ़ाज़
ना हों...!
5585
राधा कृष्ण का प्रेम,
तो अब परवान
चढ़ेगा...
रसियापर फागुनका,
रंग जब चढ़ेगा.......!
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