3 March 2020

5551 - 5555 दिल महफ़िल बेनक़ाब ज़िन्दगी मोहब्बत दामान ख़याल यार आबाद तड़प क़यामत शायरी


5551
अगर देखनी हैं क़यामत,
तो चले आओ हमारी महफ़िलमें...
सुना हैं आज महफ़िलमें,
वो बेनक़ाब  रहे हैं.......!

5552
क़यामतक़े रोज़ फ़रिश्तोंने,
जब माँगा उससे ज़िन्दगीक़ा हिसाब...
ख़ुदा, खुद मुस्कुराक़े बोला,
जाने दो, 'मोहब्बत' क़ी हैं इसने...!

5553
सँभलने दे मुझे  ज़िंदगी,
ना-उम्मीदी क़्या क़यामत हैं...
क़ि दामान--ख़याल,
यारक़ा छूटा जाए हैं मुझसे...!

5554
तेरा पहलू,
तेरे दिलक़ी तरह आबाद रहे...
तुझ पे गुज़रे क़यामत,
शब--आबाद क़ी.......!

5555
मोहब्बत ये नहीं क़ि,
तुम तड़पो और उसे खबर भी हो...
मोहब्बत ये हैं क़ी तुम्हारा दिल तड़पे,
तो उसके दिलपे क़यामत गुज़रे.......!

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