6 March 2020

5561 - 5565 मासूमियत चेहरे क़यामत होठ मंज़ूर बात वजह मुस्कुरा शायरी


5561
तेरे चेहरेपे,
ये मासूमियत भी खूब जमती हैं...
क़यामत ही जाएगी,
ज़रा-सा मुस्कुरानेसे...!

5562
क़यामत टूट पड़ती हैं,
ज़रासे होठ हिलने पर...
जाने क्या हश्र होगा जब,
वो खुलकर मुस्कुराएंगे...!

5563
शिकायतें सब मंज़ूर हैं तुम्हारी...
पर जरा मुस्कुराकर कहना.......!

5564
बड़ी बड़ी बातें करने वाले,
बातोंमें ही रह जाते हैं...
हलकेसे मुस्कुराने वाले,
बहुत कुछ कह जाते हैं...

5565
चलो मुस्कुरानेकी वजह ढूंढते हैं,
जिन्दगी,
तुम हमें ढूंढो...
हम तुम्हे ढूंढते हैं...!

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