15 March 2020

5611 - 5615 दिल क़दम औकात दीवार नादान मुद्दत जिंदगी शायरी


5611
बड़ी चालाक हैं ये जिंदगी,
हमें रोज़ नया कल देकर...
हमसे अपना आज़,
छीन लेती हैं.......

5612
क़दम क़दमपें एक,
नया इम्तहान रखती हैं;
ज़िंदगी तू भी मेरा,
कितना ध्यान रखती हैं !

5613
जिंदगी,
बस इतना ही चाहिये तुजसे;
कि जम़ीन पर बैठूँ तो...
लोग उसे बडप्पन कहें,
औकात नहीं.......!

5614
खुदा,
जिंदगी भले छोटी दे देना...
मगर देना ऐसी,
कि मुद्दतोंतक लोगोंके,
दिलोंमे जिंदा रहें.......!

5615
एक और ईंट गिर गई,
दीवार--जिंदगीसे...
नादान कह रहे हैं,
सालगिरह मुबारक हो।

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