21 March 2020

5636 - 5640 दिल मोहब्बत याद क़रार तसल्ली हाल अंजाम सज़ा एहसान दुनिया वफ़ा शायरी


5636
अंजाम--वफ़ा ये हैं,
जिसने भी मोहब्बत की...
मरनेकी दुआ माँगी,
जीनेकी सज़ा पाई...
                        नुशूर वाहिदी

5637
ख़ुद वफ़ा क्या...
वफ़ा का बदला क्या...
लुत्फ़ एहसान था,
अगर करते.......
फ़ानी बदायुनी

5638
दुनियाके सितम याद,
अपनीही वफ़ा याद;
अब मुझको नहीं कुछभी,
मोहब्बतके सिवा याद...!
                   जिगर मुरादाबादी

5639
हाल सुनकर मेरा,
वो यूँ बोले...
और दिल दीजिए,
वफ़ा कीजे...!
जिगर बरेलवी

5640
जफ़ासे हैं,
मेरे दिलको क़रार...
तसल्ली,
वफ़ासे होती हैं...
         रियाज़ ख़ैराबादी

No comments:

Post a Comment