12 March 2020

5591 - 5595 होठ मुस्कुराहट खामोशी नेकी जिस्म लिबास शायरी



5591
होठोंको जब,
लिबासकी जरूरत हो...
मशवरा हैं की,
मुस्कुराहट पहना दो...!

5592
ये जो मुस्कराहटका,
लिबास पहना हैं...
दरअसल खामोशियोंको ही,
रफ़ू करवाया हैं.......

5593
हरे शजर सही,
खुश्क घास रहने दो;
ज़मींके जिस्मपर,
कुछ लिबास रहने दो...!

5594
सिर्फ लिबास ही,
महँगा हुआ हैं साहब;
आदमी आज भी,
दो कौड़ीका ही हैं...

5595
तेरी नेकीका लिबास ही,
तेरा बदन ढकेगा, बन्दे;
सुना हैं उपर वालेके घर,
कपड़ोकी दुकान नही होती...

No comments:

Post a Comment