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9 March 2020

5581 - 5585 प्रेम प्यार मोहब्बत नज़्म सिलसिला चाहत हुस्न चेहरा इज़हार अल्फ़ाज़ रंग शायरी


5581
मोहब्बतका कोई रंग नहीं,
फिर भी वो रंगीन हैं...
प्यार का कोई चेहरा नहीं,
फिर भी वो हसीन हैं.......!

5582
ये किसकी चाहतका रंग हैं,
जो मद्धम नहीं होता...
इतने नज़्म लिख डाले,
फिर भी सिलसिला खत्म हीं होता...!

5583
हुस्न रंगतका,
मोहताज कभी नहीं होता...
आलिम जेहन हो तो,
फिर चेहरा नहीं देखा जाता...!


5584
मोहब्बतके सभी रंग बहुत ख़ूबसूरत हैं,
लेकिन.......
सबसे ख़ूबसूरत रंग हीं हैं,
जिसमें इज़हारके लिए अल्फ़ाज़ ना हों...!

5585
राधा कृष्ण का प्रेम,
तो अब परवान चढ़ेगा...
रसियापर फागुनका,
रंग जब चढ़ेगा.......!