1526
“जहरके असरदार होनेसे,
कुछ नहीं होता साहेब...
खुदा भी राजी होना चाहिए,
मौत देनेके लिए...!”
1527
मेरे क़दमोंमें पूरी कायनात भी,
रख दी गई ए-बेवफा...
हमने तब भी तुम्हारी यादोंका ,
सौदा नहीं किया.....!
1528
थोड़ी मोहब्बत तो,
तुझे भी थी मुझसे...
वरना इतना वक्त तो न लगता,
सिर्फ एक दिल तोड़नेमें...
1529
कभी थक जाओ तुम,
दुनियाँकी महफ़िलोंसे...
हमें आवाज़ दे देना,
अक्सर अकेले होते हैं हम l
1530
तेरी महफ़िलसे उठे तो
किसीको खबर तक ना थी.....
तेरा मुड़-मुड़कर देखना हमें,
बदनाम कर गया.......