16 July 2017

1526 - 1530


1526
“जहर के असरदार होने से,
कुछ नहीँ होता साहेब...
खुदा भी राजी होना चाहिए,
मौत देने के लिए...!”

1527
मेरे क़दमों में पूरी कायनात
भी रख दी गई ए-बेवफा
हमने तब भी तुम्हारी यादों
का सौदा नहीं किया…..!!

1528
थोड़ी मोहब्बत तो,
तुझे भी थी मुझसे...
वरना इतना वक्त तो न लगता,
सिर्फ एक दिल तोड़ने में...

1529
कभी थक जाओ तुम
दुनिया की महफ़िलों से,
हमें आवाज़ दे देना,
हम अक्सर अकेले होते हैं।

1530
तेरी महफ़िल से उठे तो
किसीको खबर तक ना थी.....

तेरा मुड़-मुड़कर देखना हमें,
बदनाम कर गया.......

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