18 July 2017

1531 - 1535


1531
हम नफरत के काबिल थे,
तो नफरत से ही मार देते...!
क्यों अपनी महफ़िल में बुलाकर...
प्यार से कह दिया ,
" कौन हो तुम.... "

1532
डाल देना अपने ही हाथोसे कफन,
मेरी लाश पर.....के,
तेरे दिये जख्मो के तोहफे,
कोई और ना देख ले.......

1533
अब ना करूँगा,
अपने दर्द को बया किसी के सामने,
दर्द जब मुझको ही सहना है...
तो तमाशा क्यूँ करना.......

1534
दिल सॆ हम जिसको प्यार दॆंगॆ,
सच कॆहॆतॆ है उसकी जिंदगी सवार दॆंगॆ...
दॆख लेना तरस जायॆंगॆ वो लोग उमर भर कॆ लियॆ,
जिनको हम दिल दे निकाल दॆंगॆ.......।

1535
तेरी सांस के साथ चलती है,
मेरी हर धड़कन.......
और तुम पूछते हो,
मुझे याद किया या नही.......

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