3 July 2017

1466 - 1470


1466
हम नही जीत सकॆ उनसॆ ...
वो ऎसी शर्त लगानॆ लगॆ ...
प्यारी सी आखॊं को ...
मेरी आखों सॆ लडानॆ लगॆ ...
हम शायद जीत भी जाते ...
पर पलकॆ हम ने तब झपकाई ...
जब उनकी पलकों सॆ आसू आनॆ लगॆ ...
1467
थम के रह जाती है जिन्दगी
 "तब".......
......."जब"...
 जम के बरसती हैं पुरानी यादें,
1468
तेरा ऐसा भी क्या रिश्ता है ?
दर्द‎ कोई भी हो...
याद‎ तेरी ही आती है.......
1469
मेरी रातें ...... मेरे दिन
सब ख़ाक हैं उनके बिन
1470
जब तक बिके नही थे हम
कोई पुछता न था

तुने खरीद के,
अनमोल कर दिया !

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