15 July 2017

1521 - 1525


1521
अब वफा की उम्मीद भी,
किससे कीजाए भला,
मिट्टी कॆ बनॆ लोग,
कागज मॆं जो बिक जाते है।

1522
अपनी जिंदगी,
अजीब रंग में गुजरी है.....
राज किया दिलों पे
और तरसे मोहब्बत को है.....

1523
उनके इंतजार के मारे है हम,
बस उन्ही कि यादों के सहारे है हम,
दुनिया जीत के करना क्या है अब,
जिसे दुनिया से जितना था उसी से हारे है हम...

1524
मोहोब्बत हर इन्सान को आजमाती है,
किसी सॆ रुठ जाती है,
किसी पॆ मुस्कुराती है,
मोहोब्बत खॆल ही ऎसा है,
किसी का कुछ नही जाता ऒर
किसी की जान ही चली जाती है।

1525
राख बेशक हूँ मगर...
मुझमें हरकत है अभी भी...

जिसको जलने की तमन्ना हो,
हवा दे मुझको.......

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