1536
दिन भी अच्छे गुजर रहे थे,
और खुशियाँ भी.....
ऐ वक्त...
बता क्या मिला तुझे.....
उसको मुझसे जुदा करके.......
1537
"मुझसे दोस्त नहीं बदले जाते,
चाहे लाख दूरी होनेपर,
यहाँ लोगोंके भगवान बदल जाते हैं,
एक मुराद ना पूरी होनेपर।।"
1538
रात हुई जब शामके बाद,
तेरी याद आई हर बातके बाद,
हमने खामोश रहकर भी देखा,
तेरी आवाज आई हर साँसके बाद।
1539
चल आ तेरे पैरोंपर,
मरहम लगा दूं ऐ मुक़द्दर...
कुछ चोटे तुझे भी आई होगी,
मेरे सपनोको ठोकर मारकर.......
1540
ना छेड़ किस्सा उल्फ़तका,
बड़ी लम्बी कहानीके...
मैं ज़िन्दगीसे नहीं हारा,
ये किसी अपनेकी मेहरबानीके...
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